योग | Benefit Of Yoga

Yoga ke labh – Benefits Of Yoga

संस्कृत भाषा के शब्द ‘युज’ से ‘योग’ की उत्पत्ति हुई है जिसका मतलब होता है जुड़ा या कनेक्ट होना| सार्वभौमिक चेतना से व्यक्तिगत चेतना का मेल होना योग है| जानकारी के लिए बता दें के योग भारत का लगभग 5000 वर्षों पुराना दर्शनशास्त्र है और इसके सबसे प्राचीन उल्लेख अभी तक ऋग्वेद में पाए गये हैं| वेदों के बारे में हम आपको बता दें के ऋग्वेद के अतिरिक्त हमारे अन्य तीन वेद और हैं जिनके नाम सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद हैं|

भारतीय समाज में बीते हजारों सालों से योग का अभ्यास होता आ रहा है| योग करते वक्त कुछ क्रियाएं की जाती है जो के नियमबद्ध होती है और इन सभी क्रियाओं को करने की अपनी एक कला होती है और इन्ही क्रियाओं को आसन का नाम दिया जाता है| और खासतौर पर इन आसनों का लाभ और इनसे होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव उन लोगों में नजर आते हैं और महसूस किये जाते है जो इन आसनों को नियमित तौर पर और पूर्णतः सही तरीके से करते हैं|

सरल शब्दों में कहे तो योग में किये गये व्यायामों को आसन कहा जाता है| और योग के जरिये कोई भी मनुष्य न केवल अपने शरीर को हृष्ट पुष्ट बना सकता है बल्कि अपने मन को भी मनुष्य स्थिर कर सकता है और खुद को आंतरिक शान्ति प्रदान कर सकता है|

योग की उत्पत्ति

प्राचीन भारत में हजारों सालों पहले योग का जन्म हुआ था और ऐसी मान्यता है के सबसे पहले योगी या प्रथम योग गुरु महादेव यानि भगवान शिव थे| और इसीलिए भगवान शिव को आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है| बात हजारों वर्षों पहले की है जब अपने दिव्य योग ज्ञान को सप्त ऋषियों संग हिमालय में कंटिसारोकर झील के तट पर आदियोगी नें साझा किया था| और ऐसी मान्यता है के किसी एक ऋषि में या शख्स में इतनी क्षमता नही थी के पूरे योग ज्ञान को वो अकेले अर्जित कर सके|

इसके बाद इस योग ज्ञान के साथ सप्त ऋषि इसके प्रसार के लिए निकल पड़े और दुनिया के विभिन्न हिसों में इन्होने योग का प्रसार किया| एशिया, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका जैसे समस्त क्षेत्रों में योग पहुंचा पर पूर्ण अभिव्यक्ति से योग प्रणाली को प्राप्त करने का आशीष भारत को हासिल हुआ|

बात अगर भारत में योग की मौजूदगी के प्रमाणों की है तो हम आपको बता दें के सिंधु-सरस्वती सभ्यता के जीवाश्म अवशेष इस बात की पुष्टि करते हैं| और साथ ही लोक परम्पराओं में भी इसके उल्लेख जो के सिंधु घाटी सभ्यता, बौद्ध और जैन परंपराओं में भी शामिल है। साथ ही योग में वक्त म\के साथ कई बदलाव भी आये है| वैदिक काल की बात है जब सूर्य को ऊर्जा स्त्रोत्रों के बीच सर्वोच्च महत्व दिया जाता था और इसी वजह से सूर्यनमस्कार का आविष्कार भी हुआ था|

इसके बाद आता है आधुनिक योग जिसके पिता आज भी महर्षि पतंजलि माने जाते हैं| यह बात आज भी सभी को ज्ञात है के महर्षि पतंजली नें योग के आविष्कार को तो नही किया है पर इसे एक प्रणाली में आत्मसात करने का कार्य अवश्य किया है| महर्षि पतंजली नें योग की तमाम जटिलताओं को सरल बनाने के लिए कई योग सूत्रों की खोज की जिसके चलते इन्हें आधुनिक योग के पिता की उपाधि दी गयी|

योग में शामिल आसनों में सांस का बेहद अधिक महत्व है और योग करते वक्त इनका ध्यान रखना भी अत्यंत जरूरी है| आसन या व्यायाम करते वक्त हमारी सांस लेने की गति में इजाफा होने लगता है और इससे हमारे शरीर में आक्सीजन की मात्र भी सुधरती है जिससे हमारे शरीर में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं| इसके साथ ही योग की मदद से हमारी मानसिक स्थिति में भी सुधार आता है| इससे हमारे दिमाग की एकाग्रता बढती है और हमारा मन मस्तिष्क भी शांत होता है|

योग के लाभ

आंतरिक शांति आंतरिक शान्ति योग के सबसे अहम लाभों में से एक है क्योंकि आंतरिक शांति आज के भागदौड़ भरे वक्त में इंसान की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है| योग की मदद से हम खुद को तनाव और अशांति जैसी स्थितियों से मुक्त रख सकते हैं| साथ ही योग के लिए हमे अधिक वक्त भी देने की आवश्यकता नही होती है और न ही अन्य उपकरणों की भी जरूरत पडती है|

सक्रियता आज के भागदौड़ भरे वक्त में अधिकतर लोग आलस, थकान आर नींद में कमी जैसी समस्याओं से जूझते नजर आते हैं और इन स्थितियों में जीवन के असली आनंद से वंचित भी रह जाते हैं|पर योग ऐसी स्थिति में भी काफी मददगार सिद्ध होता है और इससे शारीरिक के साथ साथ मानसिक हालातों में भी सुधार आता है| हालाँकि योग को नियमित तौर पर करने की आवश्यकता होती है और इसके अलावा सही तरीके से योग और आसन को करना बेहद आवयश्क होता है|

लचीलापन – पहले का एक वक्त हुआ करता था जब लोग शारीरिक दर्द और अन्य शरीर की बीमारियों से कभी कभी ही खुद हो ग्रसित पाते थे पर आज के वक्त में हर तीसरा शख्स बदन दर्द या अन्य ऐसी बीमारियों से परेशान है| ऐसी स्थिति में योग शरीर को काफी लाभ प्रदान कर सकता है और इंसान को काफी आराम भी प्रदान कर सकता है|

रक्त प्रवाह बढ़ाएं – योग के दौरान आसनों को भी करना होता है जिसके लिए शरीर के तमाम अंगों की स्थिति में हमे फेर बदल करने होते है जिसके चलते हमे सांस भी लेनी पडती है| और इसी सांस की क्रिया से हमारे शरीर में आक्सीजन और रक्त का प्रवाह भी बढ़ता है और धीरेधीरे खुद ही संतुलित भी हो जाता है|

ध्यान केंद्रित करने की शक्ति मानसिक तौर पर तनावमुक्त बनाने के साथ योग हमारे मस्तिष्क को शान्ति प्रदान करने का भी काम करता है| और एक शांत मष्तिष्क ध्यान केन्द्रित करने के लिए कितना आवश्यक है इस बात को बताने की तो शायद ही हमे जरूरत है| और यही मुख्य कारण है के बच्चों को सुबह सुबह योग करने और एकाग्र होकर बैठे को कहा जाता है|

निष्कर्ष

योग को लेकर आज ऐसी धारणाएं बन चुकी है के यह सिर्फ एक शारीरिक क्रिया है पर असल में योग सिर्फ शारीरिक या मानसिक क्रिया नही बल्कि आत्मा का परमात्मा से मिलन है| यह सिर्फ कही बात नही बल्कि योग का परिभाषित अर्थ है|

Written by Jatin Tripathi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भ्रष्टाचार | Corruption

स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध | Clean India Campaign