सौर मंडल | Solar System

हमारे सौर मंडल में कुल 8 गृह मौजूद है जिनकी पहचान सूर्य से इनकी दूरी और रंगों के आधार पर की जाती है| बात करें अगर इन ग्रहों के भिन्न रंगों की तो इसकी वजह इन ग्रहों पर पाए जाने वाले तत्व है| ये सभी गृह एक खगोलीय पिंड पर गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हुए है| बात करें अगर सौर परिवार में अंशों की तो इनमें सूर्य सहित ग्रह, उपग्रह, उल्कापिंड, क्षुद्रग्रह और धूमकेतु शामिल किये जाते हैं| और इन सभी के पिंड के केंद्र पर स्थित है सूर्य जो के एक तारा है| बता दें के सूर्य ही इस पूरे सौर परिवार के लिए प्रकाश और ऊर्जा का केंद्र है|

इन तमाम ग्रहीय मंडलों और अंशों को सूर्य सहित जब गिना जाता है तो उसे ही सौर मंडल का नाम दिया जाता है| इस सौर मंडल में कुल आठ गृह, 166 ज्ञात उपग्रह और अरबों की संख्या में फैले छोटे पिंड शामिल हैं| बात करें अगर इन छोटे पिंडों की तो इनमे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कायें पायी जाती है|

सौर मंडल के सदस्य (Parts of Solar System)

  1. सूर्य (Sun)

सौर मंडल के केंद्र में सूर्य स्थित है जिसके चारों ओर एक पिंड में पृथ्वी सहित सभी गृह चक्कर लगाते हैं| हमारे पृथ्वी पर पायी जाने वाली हर एक प्रजाति के लिए सूर्य को ऊर्जा स्त्रोत्र माना जाता है| अगर सूर्य की औसत त्रिज्या की बात करें तो यह 695,508 किमी बताई जाती है|

सूर्य को लेकर किये गये अध्ययनों में ऐसा पाया गया है के इसका ग्रुत्वाक्र्षण बल काफी अधिक है और इसी वजह से अन्य गृह इसका चक्कर लगाते है| बात करें अगर सूर्य और हमारी पृथ्वी के बीच की दूरी की तो यह तकरीबन 14,96,00,000 किलोमीटर है और इसीलिए पृथ्वी तक प्रकाश को आने में 8 मिनट 19 सेकेण्ड का वक्त लगता है| सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना एक विशाल गोला है जिसमे हमेशा न्यूक्लियर रिएक्शन होते रहते हैं और इसी से भारी मात्र में ऊर्जा निकलती है जिसका एक छोटा सा भाग पृथ्वी तक पहुँचता है|

  1. चन्द्रमा (Moon)

चन्द्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है जिसके मध्य और पृथ्वी के मध्य की दूर तकरीबन 384,403 किलोमीटर है। साथ ही चन्द्रमा पूरे सौर मंडल का पांचवा सबसे बड़ा उपग्रह भी है| वैज्ञानिकों की माने तो चाँद की उत्पत्ति 450 करोड़ सालों पहले पृथ्वी से ही हुई थी जब एक उल्का पिंड पृथ्वी से टकराया था| इसी टक्कर में पृथ्वी का एक अंश टूट कर अलग हुआ था जो के चाँद बन गया| और यही कारण बताया जाता है के चाँद के पास अपनी खुद की रौशनी नही है| बता दें के चाद को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 28 दिनों का वक्त लगता है|

सौर मंडल के ग्रह (Planets of Solar System)

बुध (Mercury Planet)

सौर मंडल में सूर्य के सबसे नजदीक पाया जाने वाला गृह है बुध जो के सौर मंडल का सबसे छोटा गृह भी है| साथ ही इसे अन्तरिक्ष की यात्रा करने वाला सबसे बड़ा गृह भी बताया जाता है जिसकी गति तकरीबन 180,000 किमी/घंटा है| और अगर बात करें सूर्य की एक परिक्रमा लगाने की तो यह महज़ 88 दिनों में ही सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा लगा लेता है| बुध के बाहरी खोल की बात करें तो यह लगभग 400 किमी है| वहीँ पृथ्वी के मुकाबले बुध का चुंबकीय क्षेत्र केवल 1% है।

जानकारी के लिए बता दें के ये गृह अन्य ग्रहों के मुकाबले तापमान में काफी अधिक उतार चढ़ाव देखता है जिसके मान 100 K से लेकर 700 K तक का परिवर्तन देखने को मिलता है| बुध के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है।

शुक्र (Venus Planet)

सूर्य से दूरी के मामले में दूसरा और आकार के मामले छठवा सबसे बड़ा गृह है शुक्र जो के सूर्य और चन्द्रमा के बाद चमकने वाली वस्तुओं की सूची में नजर आता है| शुक्र गृह के पास भी अपना खुद का कोई उपग्रह नही है| इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है क्योंकि कई मामलों में यह गृह पृथ्वी के समान है जैसे इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का 95 प्रतिशत है और इसका वजह पृथ्वी के वजन का 80 प्रतिशत है।

शुक्र ग्रह की सतह पर सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों की मोती परते होने की पुष्टि की जा चुकी है जिनकी मोटाई कई किलोमीटर हैं| और इसके अलावा शुक्र गृह का वातावरण कार्बन डाईऑक्साइड से बना हुआ है|

पृथ्वी (Earth Planet)

सूर्य से दूरी के मामले में हमारी पृथ्वी तीसरे स्थान पर है और तमाम अध्ययनों के मुताबिक यह सामने आया है के यह इकलौता ऐसा गृह है जहाँ पर जीवन सम्भव है| इसकी उपस्थिति की बात करें तो शोध में ऐसा पाया गया है के हमारी पृथ्वी तकरीबन 4.54 बिलियन सालों पुरानी है| हमारी पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिनों का वक्त लगता है और इसे ही हम पृथ्वी पर एक वर्ष मानते हैं| अपने पिंड पर घुमने के साथ घुमने के साथ अपनी धुरी पर भी यह घूमता है जिसकी वजह से हमे मौसमी बदलाव देखने को मिलते हैं|

मंगल (Mars Planet)

सौर मंडल में सूर्य से दूरी के मामले में मंगल गृह चौथे स्थान पर है जिसे ‘लाल गृह’ के नाम से भी पहचान मिली हुई है| सूर्य से मंगल गृह की दूरी तकरीबन 22.80 करोड़ है और इसका व्यास 6794 किलोमीटर बताया जाता है| अधिक्तैर शोधों में इस बात की बैज्ञानिकों नें पुष्टि की है के मंगल गृह की सतह पर एक वक्त पानी रहा होगा| बात करें अगर इस गृह के औसतन तापमान की तो यह लगभग 55 डिग्री सेल्सियस सामने आता है जिसमे 127 डिग्री तक का परिवर्तन आ जाता है|

मंगल की सतह पर हुई जांचों में यह बात सामने आई है के इस पर पानी और कार्बोन डाईऑक्साइड बर्फ की परत है। और बात करें अगर उपग्रहों की तो मंगल के पास फोबोस और डीमोस नाम के दो उपग्रह है। और यहाँ पर एक साल पृथ्वी के मुकाबले 687 दिनों का होता है।

बृहस्पति (Jupiter Planet)

सौर मंडल में बृहस्पति गृह का स्थान पांचवा है और सौर मंडल में इसे सबसे बड़ा गृह माना जाता है| बता दें के बृहस्पति वह पहला गृह था जिसकी वैज्ञानिकों द्वारा पहचान की गयी थी| बात करें अगर बृहस्पति गृह के मुख्य अंशों की तो अध्ययनों में ऐसा पाया गया है के यह पूरा गृह हाइडोजन से बना हुआ है।

शनि (Saturn Planet)

 

सूर्य से दूरी के मामले में छठवे स्थान पर आने वाला गृह है शनि जो के बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा गृह भी है| बात करें अगर इस गृह के धरातल और इसकी सतह की तो यह कुछ कम धनत्व वाली गैसों से बना हुआ है जिसके कारण यह ठोस नही है| पूरे सौर मंडल में सबसे अधिक उपग्रहों वाले इस शनि गृह का तापमान तकरीबन 180 डिग्री सेल्सियस है|

अरुण (Uranus Planet)

अरुण या मुख्यतः यूरेनस के नाम से ही जाना जाने वाला यह गृह सूर्य से दूरी के मामले में सातवें स्थान पर आता है जो के व्यास के आधार पर तीसरा सबसे बड़ा गृह भी है| अगर इसकी पृथ्वी से तुलना की जाये तो यह पृथ्वी से तकरीबन 63 गुना बड़ा है और इसपर खासतौर पर मीथेन गैस पायी जाती है जिस वजह से यह दूर से हरे रंग का नजर आता है| इस ग्रह के चारों ओर वलय पाए जाते हैं जिनके नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलौन हैं।

वरुण (Neptune Planet)

सूर्य से दूरी के मामले में वरुण गृह सबसे अंतिम यानि आठवें स्थान पर स्थित है| और यह भी एक ऐसा ही गृह है जिसे वरुण नही बल्कि नेपच्यून के नाम से अधिक जाना जाता है| यह सौर मंडल का चौथा सबसे बड़ा गृह है और अध्ययनों में ऐसा पाया गया है के इसके पास अपने खुद के तकरीबन 13 ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह हैं।

क्षुद्रग्रह (Asteroid)

चट्टानों एवं धातुओं के टूटने से बनी छोटी बड़ी आकृतियों को क्षुद्रग्रहों का नाम दिया जाता है| बात करें अगर इनके आकर की तो यह एक मामूली कंकड़ के बराबर होने से लेकर तकरीबन 600 मील तक आकर में पाए जाते हैं| ये सभी भी ग्रहों की तरह सूर्य का चक्कर लगाते है पर इनके आकर इतने छोटे होते है और यए इतनी अधिक मात्र में होते हैं के इन्हें गृह नही कहा जा सकता|

Written by Jatin Tripathi

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