beti bachao beti padhao par nibandh – Essay on save daughter
एक समय था जब बेटियां पैदा होती थी तो घर में मातम सा मच जाता था और सभी उदास हो जाते थे इसके पीछे कई सारे लोगों की अपनी अपनी अलग अलग सोच थी और पहले के समय में लड़कियों का समाज में जन्म लेना तो जैसे एक अभिशाप माना जाता था| और जिस भी माँ को बेटी पैदा होती थी उसका काफी अपमान भी किया जाता थ और जब किसी घर में बेटे का जन्म होता था तो वहां उत्सव मनाया जाता था और लोग खुशियाँ भी मानते थे| लेकिन जैसे जैसे ज़माना बदलता गया लोग भी बदलते गए और आज के समय में तो सभी ज़्यादातर पढ़े लिखे हैं और सभी शिक्षित भी हैं और जो शिक्षित है उसकी सोच भी काफी बदल चुकी है और आज के समय में बहुत कम ऐसे लोग बचे हैं जो की लड़के और लड़कियों में फर्क करते हैं हालाँकि अभी ये पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है लेकिन पहले की अपेक्षा अब काफी कम हो गया है|
जैसे की हर सिक्के के दो पहलु होते हैं और किसी एक पहलु से गाड़ी नहीं चल सकती उसी प्रकार से इस जीवन रुपी संसार में किसी एक के बल पे अगर सोचा जाये की गाड़ी चल जाएगी तो आप गलत हैं जी हाँ जीवन की गाड़ी किसी एक बल पे कभी नहीं चल सकती फिर चाहे वो लड़की हो या लड़का दोनों ही अपनी जगह सही हैं और दोनों की सहभागिता भी जरूरी है| और आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं की आखिर बेटियां हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं और इनकी इस समाज में कितनी अहम् भूमिका है अगर हमारे समाज में बेटियां नहीं होंगी तो ये समाज धीरे धीरे ख़त्म हो जायेगा और हमारे देश का विकास भी एक जगह पर सिमट कर रह जायेगा|
आखिर इस समाज में महिलाओं की अहिमियत को कोई क्यों नहीं समझता और ये क्यों नहीं सोचता की पुरुषों का अस्तित्व भी एक महिला के कारण ही हुआ है, लेकिन ये जानते हुए भी ये हमारा समाज केवल बेटे को पाने की कामना करता है और इसी चाहत में न जाने कितने लोग तो लड़कियों को माँ की कोख में ही नष्ट कर देते हैं और इस पाप के भागिदार बन जाते हैं और आज यही कारन है की हमारे देश में निरंतर लड़कियों की संख्या कम हो रही है और ये हमारे लिए एक चिंता का विषय बन चुका है और अगर इसपर रोक नहीं लगाया गया और लोगों को इसके प्रति जागरूक नहीं किया गया तो बहुर जल्द ही ऐसा समय आ जायेगा जब हमारे समाज में लड़कियों का प्रतिशत बहुत कम हो जायेगा और फिर इनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा|
ये तो आप जानते ही हैं की स्त्रियों के साथ भेदभाव तो पुरे विश्व की एक आम समस्या है और आज के समय में लड़कियों के साथ शोषण होने के पीछे का भी मुख्य कारण
शिक्षा ही है। जी हाँ जब लोग पढ़े लिखे नहीं होंगे तो उनके मन के विचार भी गंदे होंगे और उनको सही गलत का ज्ञान नहीं होगा लेकिन अगर हम शिक्षित होंगे तो हमें सही-गलत का ज्ञान होगा और हम किसी स्त्री के साथ अन्याय नहीं होने देंगे और जब इस देश की हर बेटी पढेगी और अपने पैरों पे कड़ी होगी तब इस समाज में उसे कोई भी निचा नहीं दिखा सकता और तब उन्हें कोई बोझ भी नहीं समझेगा।
इसीलिए आज की इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे ही प्रोग्राम के बारे में बताने वाले हैं जो की बेटियों की शिक्षा से सम्बंधित है ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम’ जिसके माध्यम से आज के समय में हर लड़की पढ़ रही है और काफी आगे भी बढ़ रही है और जब तक इस देश की लड़की शिक्षित नहीं होगी तब टस्क इस देश कजा विकास संभव नहीं है| इसलिए हमें अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर इतना काबिल बनाना चाहिए की आगे चलकर वो किसी के अधीन न रहे और अपना जीवन यापन अच्छे से कर सके| और इसके साथ साथ वो अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दे सके। इसीलिए लड़की का शिक्षित होना आज के समय में अत्यंत आवश्यक है।
जिस प्रकार से हमारे समाज में एक लड़के को आदर और सम्मान मिलता है और उसको पढाया लिखाया जाता है और उसको शिक्षित बनाया जाता है उसी तरह से अगर लड़कियों को भी शिक्शिओत बनाया जाये तो हमारा समाज कितना बदल जाये और और जब घर की स्त्री पढ़ी लिखी होगी तो उसके बच्चे भी अच्छी आदत सीखेंगे और उनको अच्छे संस्कार मिलेंगे| क्यों की एक लड़की ही है जो जन्म-दाता के साथ साथ एक अच्छी चरित्र निर्माता भी है, और इस समाज में उसके कई सरे किरदार हैं सबसे पहले जब इसका जन्म होता है तो वो एक लड़की बनती है और फिर किसी की बहिन भी बनती है और जब उसकी शादी होती है तो वो पत्नी बनकर अपनी एक नयी दुनिया बसाती है और अपने पति के साथ उसकी जीवन भर की संगिनी बनकर उसके साथ रहती है और हर सुख-दुःख में उसका साथ देती है। इसके बाद जब माँ बनती है तो वो अपने बच्चों पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है। इसलिए हमें कभी भी स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए और न ही उसका अनादर करना चाहिए|
हमारे देश की हर बेटी पढ़ लिख कर आगे बढे इसके लिए हमारे देश में माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी एक अभियान चलाया है जिसका नाम है ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जिसका शुभारंभ 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में हुआ था और धीरे धीरे इस योजना का विस्तार पूरे देश में हर जगह हो गया और सभी देशवासियों को एकजुट होकर लड़कियों की कम जनसंख्या को संतुलित करने का संकल्प किया।
बीते वर्षों में जितना विज्ञानं ने तरक्की की है वो तो आप देख ही रहे है और ये हमारे लिए जीना अच्छा है उससे भी ज्यादा घातक भी है| मेडिकल की बात करे तो सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउण्ड इसका एक अच्छा उद्धरण है जिससे हमें पेट में ही बच्चे के लिंग का पता चलता है लेकिन आज के समय में कई सरे लोग इसका गलत उपयोग करके पैसे कम रहे हैं लेकिन ऐसा करना क़ानूनी अपराध ई और जो कोई भी ऐसा करता पकड़ा गया उसको कड़ी से कड़ी सजा मिल सकती है| 1991 की जनगणना में ये देखा गया है की देश में लड़कियो की संख्या में भारी कमी आई है और ये गिरावट आज भी जारी है। इसलिए हमें इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए|