हमारा भारत देश बहुत ही महान है और यहाँ ऐसे कई सारे महापुरुष पैदा हुए हैं जिन्होनें हमारे देश के लिए अपनी जान तक दे दी और इसी वजह से आज हम उनका नाम बड़े ही आदर और सम्मान से लेते हैं| हमारे देश की आज़ादी ऐसे ही हमको नहीं मिली है इसके पीछे कितने महापुरुषों ने अपने जीवन की बलि चढ़ा दी तब जेक हमारा देश आज़ाद हो पाया है और आज हम अपने अपने घरों में सुकून से बैठे हैं| और जो देश के लिए बलिदान दिया जाता है उससे बड़ा तो कोई बलिदान ही नहीं होता| और आज के इस लेख में हम जिस महापुरुष की बात करने वाले हैं वो हैं महात्मा गाँधी जिनको की हम प्यार से बापू कहते हैं| इनको हमारे भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है और 2 अक्टूबर को इनका जन्मदिन गाँधी जयंती के रूप में मनाया जाता है| और विश्व स्तर पर भी उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है| तो आइये जानते हैं इनके बारे में विस्तार से|
गांधी जी का जीवन
ऐसा कहा जाता है की गाँधी जी हमेशा से एक सामान्य जीवन जीते थे और इनको झूठ बोलने से बहुत नफरत थी| अगर इनको कोई कुछ कह देता था तो ये उसका पलट के जवाब भी नहीं देते थे और इनके जन्म की अगर बात की जाये तो गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था| गाँधी जी का जन्म हिन्दू परिवार में हुआ था और ये हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखते थे| इनके पिता बहुत ही सीधे व्यक्ति थे और उनका नाम था करमचंद गांधी और इनकी माता का नाम था पुतलीबाई और इनका नाम इनकी माता द्वारा मोहनदास रखा गया था जो की बाद में बदलकर मोहनदास करमचंद गांधी हो गया| ऐसा कहा जाता है की इनकी माता बहुत क धार्मिक महिला थी, और उनको इश्वर में बहुर विश्वाश था और वो नियमित रूप से पूजा पाठ किया करती थी| और इन्होनें ही इनका लालन पालन किया था|
गांधी जी की शिक्षा
अब हम आपको इनकी शिक्षा के बारे में बताने वाले हैं तो बता दे की गाँधी जी शिक्षा के दृष्टिकोण से एक औसत दर्जे के विद्यार्थी थे और वो पढने में तेज़ भी थे इसी वजह से उनको हमेशा पुरस्कार भी दिया जाता था और इसके आलावा इनको कई सारी छात्रवृत्तियां भी मिलीं थी उनका पसंदीदा विषय था अंग्रेजी और उनका मन भूगोल में कम लगता था| और बात करे अगर गणित की तो इसमें भी वो ठीक ही थे लेकिन बहुत अच्छे नहीं थे। उनकी लिखावट काफी अच्छी थी इसलिए अध्यापक उनको बहुर स्नेह देते थे| इसके बाद वो पढ़ लिख कर बड़े हो गए और आगे की पढाई के लिए विदेश चले गए|
गाँधी जी का विवाह
अब हम बात करेंगे इनके विवाह की तो आपको बता दे की इनका विवाह बहुत ही छोटी उम्र में हो गया था और तब से सिर्फ 13 साल के ही थे और तब ये पढने स्कूल भी जाते थे| इनकी पत्नी का नाम था कस्तूरबा माखनजी जो की एक बहुत बड़े व्यापारी की पत्नी थी और जब वो 15 वर्ष के हुए तब उनको एक बीटा हुआ लेकिन ये बीटा जिंदा नहीं बचा और फिर इसके बाद इनके 4 पुत्र हुए जिनका नाम गाँधी जी ने रखा था हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास और जब गाँधी जी की स्कूल की शिक्षा समाप्त हो गयी तब वो आगे की पढाई करने के लिए मुंबई के एक कॉलेज में अपना दाखिला करवा लिए और फिर वहां से लंदन चले गए और उनकी आगे की शिक्षा लंदन में ही पूरी हुई और वहां से वो 3 वर्ष के बाद बैरिस्टर बन के लौटे।
गाँधी जी का अहिंसा आंदोलन
इसके बाद जब गाँधी जी लन्दन से सन 1914 में वापस भारत आ गए तब उनके जीवन की असली यात्रा शुरू हुई और ये यात्रा उनके साथ हमेशा चलती रही| जब गाँधी जी वापस आये तो देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें महात्मा की उपाधि भी दे दी| इसके बाद गाँधी जी ने ऐसे कई सरे काम किये जो की बड़े बड़े लोग आज तक नहीं कर पाए थे और उसके बाद फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून का विरोध किया जिस्क्के तहत किसी को भी बिना मुकदमा चलाये जेल भेजने का प्रावधान था और इसके बाद उन्होनें अंग्रेजों का विरोध किया और फिर गाँधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 में पुरे उपमहाद्वीप को झकझोर कर रख दिया।
इस सफलता के बाद गाँधी जी के अंदर एक नया जोश आ गया और उन्होनें एक के बाद एक नया काम कर के दिखा दिया| उन्होनें कई सरे आन्दोलन भी किये जैसे की ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन’, ‘दांडी यात्रा’ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’। इसके आलावा बापू ने कई सारे आंदोलन किए थे और सारे आंदोलन देश को आजादी दिलाने के लिए किया था और सन 1919 में जलियावाला बाग कांड के विरोध में भी आंदोलन किया और इसमें देश के लोगों ने इनका पूरा साथ दिया| इसके बाद नमक आन्दोलन हुआ और ये भी सबसे ज्यादा सफलता हुआ उसके बाद इन्होनें एक आन्दोलन दांडी यात्रा के नाम से किया जिसको की 26 दिनों तक चलाया और ये यात्रा 6 अप्रैल 1930 को दांडी के एक गांव में जाकर समाप्त हो गयी| और इस तरह से उनके सभी आन्दोलन सफल हुए और इतना प्रयास करने के बाद गांधी जी ने हमारे भारत को 15 अगस्त 1947 को आज़ादी दिला दी और हमारा देश आज़ाद हो गया| इसके पीछे गाँधी जी ने काफी मेहनत की और वो अपने लक्ष्य में कामयाब भी हो गए|
गाँधी जी की मृत्यु
अब हम बात करने जा रहे हैं गाँधी जी की मृत्यु की तो बता दे की गाँधी जी की मृत्यु गोली लगने से हुई थी और 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथू राम गोडसे ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी और उसके बाद उसको भी सजा हुई लेकिन गाँधी की मृत्यु तो हो चुकी थी|